ट्रिब्यून न्यूज़ सर्विस बठिण्डा , 19 जुलाई सरहदी गांव दोना नानका में पहली बार ख़ुशी के ढोल बजे है।  सरहदी गावों में हमेशा तभी ढोल बजते है जब सतलुज में बाढ़ आती थी या सरहद पर तनाव के चलते चौकसी के ढोल खड़कते है इसी तरह किसी मुसीबत के समय में इन गावों में ढोल […]

ट्रिब्यून न्यूज़ सर्विस
बठिण्डा , 19 जुलाई
सरहदी गांव दोना नानका में पहली बार ख़ुशी के ढोल बजे है।  सरहदी गावों में हमेशा तभी ढोल बजते है जब सतलुज में बाढ़ आती थी या सरहद पर तनाव के चलते चौकसी के ढोल खड़कते है इसी तरह किसी मुसीबत के समय में इन गावों में ढोल खड़कते रहे है।  सरहदी गावों में पहली बार कहीं से कोई ख़ुशी की हवा का झोंका आया है।  दोना नानका की बेटी का पशु चिकित्सक बनने के लिए गुरु अंगद देव वेटेनरी यूनिवर्सिटी में दाखिला हुआ है।  सतलुज के पार के सरहदी गावों में मेडिकल विद्या लेने वाली यह पहली लड़की सतनाम कौर है।  मेडिकल के प्रवेश मुकाबले “नीट” के आरक्षित वर्ग में पंजाब से इस लड़की का 72 वा रैंक है।  फाजिल्का के गांव दोना नानका की इस बेटी ने नए रास्ते खोले है।  सतनाम कौर उर्फ़ संतो बाई ने सरहदी गावों के और बेटियों के लिए उम्मीद की खिड़की खोली है, जिनको कभी गांव से बाहर निकलने की कभी सोची ही नहीं।  सरकारी प्राइमरी स्कूल दोना नानका के नेशनल अवॉर्डी अध्यापक लवजीत सिंह ग्रेवाल यूनिवर्सिटी में दाखिला होने के बाद जब गांव पहुँचे तो गांव के लोगों ने ख़ुशी के मारे ढोल बजाए।  राय सिख बिरादरी के लोगों को सिर्फ इतना पता था की गांव की लड़की डॉक्टर बनेगी।  उन्होंने लड़की के गले में नोटों के हार पहनाए।  लड़की के बुजुर्ग पिता बंता सिंह से ख़ुशी संभाली नहीं जा रही थी।  माँ माया बाई इतनी खुश थी जैसे कोई खज़ाना मिल गया हो।  सरहदी गावों, जो हर तरह की सुविधाओं से महरूम है, में से यह बेटी अब एक रोल मॉडल बन कर उभरी है।  प्राप्त जानकारी अनुसार गुरु अंगद देव वेटरनरी यूनिवर्सिटी के टेस्ट में इस लड़की ने बाहरवां स्थान प्राप्त किया है।  जब यह बच्ची गांव के सरकारी प्राइमरी स्कूल में पढ़ती थी तब अध्यापको ने उसको प्रोत्साहित किया।   मुख्य अध्यापक लवजीत ग्रेवाल को इस लड़की से बहुत उम्मीद थी।  पहली कामयाबी तब हाथ लगी जब पांचवी क्लास की परीक्षा में यह लड़की पंजाब से प्रथम स्थान पर आई।  उसने 450 में 446 अंक प्राप्त किये।
प्रवासी भारतीय गुरजीत सिंह ढींडसा एवं लखविंदर सिंह गिल ने इस लड़की की पढ़ाई का सारा खर्चा उठाने का भरोसा दिया।  अकाल अकादमी बडू साहिब में इस लड़की को छ्ठी कक्षा में भर्ती किया गया।  उसने मेडिकल वर्ग में बाहरवीं की परीक्षा में 93 % अंक प्राप्त किये।  उसके पश्चात प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए चंडीगढ़ में लड़की को दोना नानका स्कूल के अध्यापको ने कोचिंग दिलवानी शुरू की।  कोचिंग का सारा खर्चा स्कूल के अध्यापको ने उठाया।  सतलुज पार के गावों का यह हाल है कि दो साल पहले ही सारे गावों को एक सीनियर सेकेंडरी स्कूल नसीब हुआ है।  लोगो को ना ही कोई बौद्धिक ज्ञान है और ना ही कोई सुविधा है।  किसी लड़की ने पहले कभी बाहरवीं तक की पढ़ाई करने का सपना भी नहीं देखा था।  दोना नानका में प्राइमरी स्कूल की स्थापना होने के बाद लड़कियों ने सपने लेने शुरू किया है और एक लड़की बी.एस.सी. नर्सिंग करने लगी है।  लोग बताते है की इन गावों में कोई विरले ही पोस्ट ग्रेजुएट होंगे।  सतनाम कौर के माता पिता भी काफी गरीब है।  कर्जा ले कर उन्होंने अब दो कमरे बनाए है।