एक बार गुरु अर्जुन देव जी एक गांव में गए , गांव का हर व्यक्ति गुरु जी को कहने लगा के “गुरु महाराज आज आप मेरे ही घर भोजन करोगे”। गुरु अर्जुन देव जी ने सभी से निम्रता भरी आवाज़ में कहा के में किसी को भी नाराज़ नहीं करांगा मेरा इस गांव में पूरा […]

एक बार गुरु अर्जुन देव जी एक गांव में गए , गांव का हर व्यक्ति गुरु जी को कहने लगा के “गुरु महाराज आज आप मेरे ही घर भोजन करोगे”। गुरु अर्जुन देव जी ने सभी से निम्रता भरी आवाज़ में कहा के में किसी को भी नाराज़ नहीं करांगा मेरा इस गांव में पूरा एक महीने के लिए निवास रहेगा। गांव के मुखिया ने गांव के हर एक घर की एक लिस्ट तैयार कर ली।

सी तरह मुखिया की बनाई लिस्ट के मुताबिक गुरु जी रोज़ाना गांव के घर में लंगर छकने जाते 15 -20 दिन बीत चुके थे। फिर एक दिन गांव के मुखिया ने एक लड़के को आवाज़ लगाते हुए अपने पास बुलाया और कहा

मुखिया लड़के (समन ) से : सुनो बेटा समन

समन : जी मुखिया जी

मुखिया : गुरु साहिब को लंगर छकाने की आपकी बारी है इसीलिए आप अपने पिता जी को बता दो और खाने का जो सामान चाहिए वो आज ही खरीद लो

समन : जी मुखिया जी में अभी पिता जी को बता देता हूं

यह कहकर समन उसी समय घर की तरफ़ चल पड़ा समन के पिता का नाम मूसा था

समन अपने पिता मूसा से : पिता जी

मूसा : हां पुत्र

समन : मुझे रास्ते में आज मुखिया जी मिले थे उन्होंने मुझसे कहा के कल गुरु जी हमारे यहां लंगर खाने आएंगे

मूसा : पुत्र यह तो बहुत ही ख़ुशी की बात है

समन : वो तो ठीक है पिता जी , कल गुरु जी के साथ 30 -40 साध -संगत भी होगी और हमारे पास इतना पैसा नहीं है के हम इतने सारे लंगर का प्रबंध कर सकें

मूसा (समन का पिता) : पुत्र यह बात तो तेरी ठीक है हमारे घर की हालत इतनी अच्छी नहीं है के हम इतने सारे लोगों के लिए लंगर की अवस्था कर सकें।

समन : पर पिता जी गुरु अर्जुन देव जी भगवान का रूप हैं यदि गुरु जी हमारे घर से बगैर लंगर खाए चले गए तो यह तो पाप होगा।

में गुरु जी को लंगर छकाने के लिए कुछ भी कर सकता हूं

मूसा : बेटा यदि गांव का साहूकार हमें राशन उधार दे तो बात बन सकती है

समन :पिता जी वो बनिया बिल्कुल भी उधार नहीं करता फिर भी इतना सारा राशन तो बो बिल्कुल ही नहीं देगा , परन्तु एक काम हो सकता है यदि आज रात हम दोनों उस साहूकार की दूकान में समान चोरी कर ले तो

मूसा : पर बेटा यह तो चोरी होगी और चोरी का लंगर बनाकर गुरु जी को खिलाना क्या पाप नहीं होगा ?

समन : नहीं पिता जी , हम केवल उतना समान ही चोरी करेंगे जितना की हमें जरूरत है।

मूसा : ठीक है पुत्र , पर हम उतना राशन ही चोरी करेंगे जितने की हमें जरूरत है।

समन : ठीक है पिता जी ,

इसी तरह दोनों बाप और बेटा रात के समय साहूकार की दूकान में चोरी करने के लिए चले गए। उन्होंने योजना के मुताबिक सबसे पहले दूकान की दीवार को तोड़ा और दूकान के अंदर चले गए जरूरत के अनुसार उन्होंने राशन चोरी कर लिया और जैसे ही वो दोनों राशन लेकर वापिस जाने लगे सबसे पहले मूसा बाहर निकला और जैसे ही समन राशन लेकर दूकान से बाहर निकलने लगा तभी उसका शरीर दीवार में फ़स गया और समन से काफ़ी कोशिशों के बाद भी बाहर नहीं निकला जा रहा था।

थोड़ी ही देर गाँव वाले जाग गए सभी को पता चल गया था के साहूकार की दूकान में चोर घुस आए हैं। सभी लोग लाठियां लेकर दूकान की तरफ़ बढ़ने लगे

मूसा ने अपने पुत्र समन को बाहर निकालने की बहुत कोशिश की परन्तु समन दीवार में बुरी तरह फ़स गया था

मूसा : पुत्र अब क्या होगा ? सभी गांव वाले हमारी तरफ़ आ रहे हैं और उन्हें पता चल जाएगा के हमने गुरु जी के लंगर के लिए चोरी की है और हमारी बहुत बदनामी होगी।

समन : नहीं पिता जी गांव वालों को कुछ पता नहीं चलेगा के चोरी किसने की है और हमारी बदनामी भी नहीं होगी।

मूसा : परन्तु पुत्र जी , तुम दीवार में बुरी तरह फ़स गए हो तुम इससे बाहर कैसे आयोगे ?

समन : पिता जी जल्दी घर जाओ और घर से तलवार लेकर आयो और तलवार से मेरा सिर काट कर घर ले जाना सिर के बिना किसी को कुछ पता नहीं चलेगा के चोर कौन था ?

मूसा : नहीं -नहीं पुत्र में ऐसा नहीं कर सकता हूं में अपने ही जवान पुत्र की हत्या कैसे कर सकता हूँ ?

समन : पिता जी , यह बात सोचने की नहीं है बल्कि मुसीबत से बाहर निकलने की है जल्दी करो तलवार से मेरा सिर काट कर घर ले जाओ।

पुत्र के ना मानने से आखिर मूसा घर जाकर तलवार ले आया और पाने पुत्र का सिर काट कर घर ले गया।

जब सारे गांव वाले दूकान के पास पहुंचे तो वो बिना सिर वाला शरीर देखकर डर गए और सभी अपने -अपने घर भाग गए यह देखते ही के सभी गांव वाले अपने -अपने घर भाग गए हैं मूसा ने अपने पुत्र का शरीर उठाया और उसे घर ले गया।

और मूसा सारी रात अपने बेटे की लाश के पास बैठा रोता रहा।

अगली सुबह मूसा और उसके बेटे ने जो राशन चोरी किया था उसने उसका लंगर तैयार कर लिया और किसी को भी पता नहीं चलने दिया।

गुरु अर्जुन देव जी और संगते मूसा के घर आए और मूसा ने गुरु जी और संगतों के लिए लंगर छकाना शुरू कर दिया।

गुरु अर्जुन देव जी (Guru Arjan Dev): मुसेया आज तुम्हारा लड़का नजर नहीं आ रहा वो कहाँ पर है ?

मूसा : गुरु जी , मूसा अंदर सो रहा है।

गुरू जी : क्या उसको नहीं पता था के आज हम उनके घर लंगर छकने आ रहे हैं ?

मूसा : दरअसल , गुरु जी आज उसकी तबियत ठीक नहीं है , आपके आने का तो उसको पहले से ही पता था।

“परन्तु गुरु जी तो सबके जानी जान थे ”

गुरु जी : मूसा एक बार अपने पुत्र को आवाज़ तो लगाओ

मूसा : पर गुरु जी समन बहुत ज्यादा बीमार है इसीलिए वो बाहर नहीं आएगा।

गुरु जी : अच्छा ठीक है यदि तुम उसे नहीं बुलाते हो तो में ही उसे बुला लेता हूं

बेटा समन बाहर आओ।

जब गुरु जी ने समन को फिर से आवाज़ लगाई “बेटा समन बाहर आ जाओ ”

तो इसके बाद हुआ ऐसा के मरा हुआ समन उठकर बाहर आ गया

अपने समन पुत्र को जिन्दा बाहर आता देखते ही मूसा की आंखें फटी की फटी रह गई

मूसा गुरु जी के चरणों में जा गिरा

जब गुरु जी ने सारी संगत को कल रात वाली बात बताई तो यह सुनकर सब हैरान रह गए और सभी कहने लगे के धन हे ! मूसा जिसने गुरु जी के परसादे (लंगर) के लिए अपने बेटे का सिर काट दिया और धन है ! समन जिसने गुरु जी के लंगर के लिए अपना सिर कटवा लिया …