अकाल अकादमी बडू साहिब से प्रांरभिक शिक्षा प्राप्त कर हिमाचल से पहला न्यूक्लियर साइंटिस्ट बनने से सिर्फ एक कदम दूर अधिराज सिंह टॉप 50 में नौवां रैंक पाया , अब जनवरी में होगी आखिरी परीक्षा, सिलेक्शन हुई तो भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र मुंबई में करेंगे रिसर्च जोगेन्दर शर्मा। शिमला दुनिया में परमाणु बम की ताकत […]

अकाल अकादमी बडू साहिब से प्रांरभिक शिक्षा प्राप्त कर हिमाचल से पहला न्यूक्लियर साइंटिस्ट बनने से सिर्फ एक कदम दूर अधिराज सिंह

टॉप 50 में नौवां रैंक पाया , अब जनवरी में होगी आखिरी परीक्षा, सिलेक्शन हुई तो भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र मुंबई में करेंगे रिसर्च

जोगेन्दर शर्मा। शिमला

दुनिया में परमाणु बम की ताकत रखने वाले हमारे देश में जहां यंग साइंटिस्टों का महत्वपूर्ण योगदान है , वहीं हिमाचल भी अब इससे पीछे नहीं रहेगा। हिमाचल का बेटा अधिराज सिंह ठाकुर प्रदेश का पहला न्यूक्लियर साइंटिस्ट बनने से सिर्फ एक कदम दूर है। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र मुंबई (बी ए आर सी ) की ओर से बीते तीन नवंबर को इसकी परीक्षा ली गयी थी। कुल 15610 छात्रों ने यह परीक्षा दी, जिसमें से 50 छात्रों ने क्वालीफाई किया है। अधिराज सिंह ठाकुर का 9 वा रैंक है। अब पांच अभ्यर्थियों के चयन के लिए जनवरी २०१९ में मुख्य लिखित परीक्षा और साक्षातकार होगा। ये सिरमौर के गांव मातल बकोग के रहने वाले है। इनके पिता जोगिन्दर सिंह ठाकुर पेशे से बागवान है, इन्होंने लॉ की डिग्री भी हासिल की है। माता संध्या ठाकुर हाउस वाइफ है। इनके ताया सुरेंदर सिंह ठाकुर हाई कोर्ट के जज रह चुके है।

भारत का परमाणु कार्यक्रम डॉ. होमी जहांगीर भाभा के नेतृत्व में आरंभ हुआ था। भाभा परमाणु अनुसन्धान केंद्र मुंबई (बी ए आर सी ) में न्यूक्लियर पर रिसर्च होता है। नई नई तकनीकों और देश को मजबूत करने के लिए न्यूक्लियर साइंटिस्ट के तौर पर पदभार ग्रहण करेंगें। गौर रहे की परमाणु परीक्षण के बाद दुनिआ भर में भारत की अलग पहचान बनी थी।

अभिराज ठाकुर की प्रारभिक पढ़ाई अकाल अकादमी बडू साहिब से हुई है। तीन वर्ष की उम्र में यह हॉस्टल में रहने लगे थे। इन्होने यहाँ से प्लस टू की पढ़ाई नॉन मेडिकल में पूरी की। इसके बाद चंडीगढ़ से कोचिंग ली। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए यह बेंगलुरु चले गए। अब बेंगलुरु में ही परीक्षा की तैयारियां कर रहे है।

देश की सेवा का अवसर मिला तो पीछे नहीं हटूंगा : भास्कर से बातचीत करते हुए अधिराज ठाकुर ने कहा की अगर भाभा परमाणु अनुसन्धान केंद्र मुंबई के लिए उनका चयन होता है तो वह देश की सेवा करने से पीछे नहीं हटेंगें। नई नई तकनीकों पर रिसर्च करने का शौक बचपन से रहा है। उनका कहना है की भारत की ताकत आज दुनिया भर में है, परमाणु परीक्षण करके देश ने बता दिया है कि हम किसी से कम नहीं है।

ऐसे होता है भाभा परमाणु अनुसन्धान केंद्र के लिए सिलेक्शन

– प्लस टू की पढ़ाई पूरी करने के बाद किसी भी स्ट्रीम में इंजीनियरिंग करनी होती है।

– इंजीनियरिंग का स्टूडेंट ही न्यूक्लियर साइंटिस्ट बनने के लिए बी ए आर सी की इस परीक्षा को दे सकता है।

– इसमें फिजिक्स से संबंधित ही प्रश्न पूछे जाते है।

– कुल 360 अंकों का प्रश्न पत्र आता है जिसे तीन घंटे में अटेम्प्ट करना पड़ता है।

– 90 प्रश्न पूछे जाते है , प्रत्येक प्रश्न चार नंबर का होता है।

– नेगेटिव मार्किंग होती है, गलत उत्तर दिया तो नंबर काट दिए जाते है।

– अनुसंधान केंद्र की और से अभ्यर्थियों के प्राप्त अंक नहीं बताये जाते, सिर्फ रैंकिंग ही बताई जाती है।