श्रद्धांजलि  हार्वर्ड  के पहले पगड़ीधारी  सिख स्नातक  संत तेजा सिंह जी को पहिये घूम रहे है भूतपूर्व हार्वर्ड छात्र द्वारा स्थापित सफल सामाजिक उद्यम जो की IIM -A द्वारा अध्ययन के लिए विषय है और अब हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू के केस संग्रह पर सूचीबद्ध  है आईआईएम-अहमदाबाद द्वारा किए गए 200 मामलों में से केवल एक अध्ययन हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू द्वारा […]

श्रद्धांजलि  हार्वर्ड  के पहले पगड़ीधारी  सिख स्नातक  संत तेजा सिंह जी को
पहिये घूम रहे है
भूतपूर्व हार्वर्ड छात्र द्वारा स्थापित सफल सामाजिक उद्यम जो की IIM -A द्वारा अध्ययन के लिए विषय है और अब हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू के केस संग्रह पर सूचीबद्ध  है
आईआईएम-अहमदाबाद द्वारा किए गए 200 मामलों में से केवल एक अध्ययन हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू द्वारा अपने केस संग्रहों की सूची के लिए उठाया जाता  है, मतलब केवल 0.5%। डॉ  ए एस घुरा , आईआईएमए और प्रो विजय शेरी चंद, रवि जे मथाई शैक्षिक नवाचार केंद्र (आरजेएमसीईआई), आईआईएमए ने इस सामाजिक उद्यम की अनूठी रणनीति के लिए “द अकाल अकादमी” नामक एक केस स्टडी करने का फैसला किया; जो शिक्षा में  नवाचार और  उद्यमशीलता के लिए प्रसिद्ध है।
आईआईएम-ए में प्रकाशित इस मामले का अध्ययन अब हार्वर्ड बिज़नेस केस संग्रह का हिस्सा है और यह एक फील्ड-आधारित केस स्टडी है जो बाबा इकबाल सिंह किंगरा (सेवानिवृत्त निदेशक कृषि, हिमाचल प्रदेश) की असली जीवन दुविधा का आलेख है, जो एक नब्बे साल की आयु के आध्यात्मिक नेता हैं , जिन्हे बाबाजी के रूप में जाना जाता है।
बाबाजी ने केवल अपने स्वामी संत अत्तर सिंह जी की दिव्य दृष्टि का पालन किया, जिन्होंने नैतिक मूल्यों के साथ वैज्ञानिक शिक्षा को संश्लेषण करने के पूरे मिशन की कल्पना की थी और संत तेजा सिंह, एमए एलएलबी एएम हार्वर्ड, जिन्होंने बडू  साहिब की स्थापना की।
बाबाजी ने, कलगीधर ट्रस्ट (जो की हिमाचल प्रदेश में बरु साहिब में स्थित एक गैर-लाभकारी सामाजिक विकास संगठन है),के अध्यक्ष के रूप में विरासत सौंपे जाने के बाद, एक  ऐसे मार्ग को अपनाने के बारे में सोचा (जैसे की सरकार के साथ एक सार्वजनिक-निजी साझेदारी या मौजूदा स्कूलों के साथ बिना वास्तविक मालिकी लिए या जमीन  पटे पर दिए प्रबंध्क ठेके (प्रबंधन अनुबंध) करने की ) कि ट्रस्ट के ग्रामीण स्कूलो के विकास गतिविधियों को गति दी जा सके ,जिससे की 2007 में 19 स्कूलों के छोटे से यूनिट से अगले एक दशक में 500 अकाल अकादमी बनाई जाये  जो की  250,000 छात्रों की जरुतों को पूरा करें।
मामले का अध्ययन अतुलनीय है क्योंकि इसमें अकाल अकादमियों ने आत्मिक और उच्च गुणवत्ता वाले वैज्ञानिक शिक्षा को विलय करके सिख गुरुओं और विश्वास से प्रेरित एक अद्वित्य मॉडल बनाया और कैसे ट्रस्ट ने 1986 में 1 स्कूल से 2018 में 129 स्कूलों (जो की 70,000 छात्रों की शैषणिक जरुतों की पूर्ति करते है) तक बढ़त प्राप्त की इसकी पूरी जानकारी सम्मलित है।
 इन सब के अतिरिक्त ये दान आधारित कम लागत वाली वित्तीय मॉडल और नए स्कूलों की पूंजीगत लागत वित्तपोषण के लिए ऋण-चालित मॉडल है जो भविष्य के उन प्रबंधकों को सिखाए जाने के लिए एक अनूठा मिश्रण है जो की  शिक्षा उद्योग में इन मापदंड के एक समूह का उपयोग करके विकल्पों का मूल्यांकन करने में कौशल विकसित करने और कार्रवाई की एक योजना की अनुशंसा करते हुए अपने करियर बनाना चाहते है।
यह एक और तथ्य है कि संत तेजा सिंह पहले पगड़ीधारी  सिख स्नातक थे, जिन्होंने बहुत पहले 1911 में हार्वर्ड में अपना पाठ्यक्रम पूरा कर लिया था।
अंत में, अब हार्वर्ड बिजनेस केस सेंटर में उपलब्ध होने वाली यह केस स्टडी अपने आप में एक सुखद दिव्य आशीर्वाद और संत तेजा सिंह जी (1877 – 1965) को श्रद्धांजलि है  जो आखिरकार हार्वर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त हो गई है  जिससे ना केवल उन्होंने समाज, समुदाय को वापस ही दिया, बल्कि अपने उस मातृ संस्था को  भी जहां उन्होंने अपना एएम पूरा किया।