Canadian parliament applauds birth of Guru Gobind Singh!

Celebrating the birthday of Guru Gobind Singh. The story of Guru Gobind Singh is similar to that of Canada’s; a man who fought so that people from all walks of life could freely practice their faith free from oppression. His message then is still just as important today.

Happy Gurpurab!

ਅਥਾਹ ਸ਼ਰਧਾ ਤੇ ਪ੍ਰੇਮ ਨਾਲ ਹੱਥੀਂ ਲਿਖਿਆ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਲੜੀਵਾਰ ਸਰੂਪ

ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ ਦੀ ਕਮਲਜੀਤ ਕੌਰ ਨੇ ਹੱਥੀਂ ਲਿਖਿਆ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਲੜੀਵਾਰ ਸਰੂਪ ਪਿੱਛਲੇ 7 ਸਾਲਾਂ ਤੋਂ ਲਿੱਖ ਰਹੀ ਹੈ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਦਾ ਸਰੂਪ ।

अद्वित्य वीरता की मिसाल – गोविन्द के लाल

एक की उम्र 5 साल और दूसरे की 7 साल। साहिबजादे जोरावर सिंघ और साहिबजादे फ़तेह सिंघ को गिरफ्तार करके सूबा सरहिंद की कचहरी में लाया गया। उनको कहा गया कि आपके पिता शहीद हो चुके है। आप इस्लाम कबूल करलो। उन्हें हूरों का लालच दिया गया।लेकिन दोनों अडिग रहे, वो नही माने। सूबा तो […]

एक की उम्र 5 साल और दूसरे की 7 साल। साहिबजादे जोरावर सिंघ और साहिबजादे फ़तेह सिंघ को गिरफ्तार करके सूबा सरहिंद की कचहरी में लाया गया। उनको कहा गया कि आपके पिता शहीद हो चुके है। आप इस्लाम कबूल करलो। उन्हें हूरों का लालच दिया गया।लेकिन दोनों अडिग रहे, वो नही माने। सूबा तो पहले ही आग बबूला हो गया था जब दोनों साहिबजादों ने कचहरी में पहुँचते ही सलाम की जगह सिखजयकारा बोला था उनसे पूछा गया कि ” अगर हम आपको रिहा कर दें तो तुम दोनों क्या करोगे ?”

उनका जवाब था ” हमें पहले तो ये उम्मीद ही नही कि तुम हमको छोड़ दोगे , अगर छोड़ दिया तो बाहर जाके फिर से सिखों की फ़ौज खड़ी करेंगे , और तेरे जुल्म के साथ तब तक लड़ते रहेंगे जब तक हम शहीद न हो जाएं या तुम सुधर न जाओ “I

अब ये पक्का हो चूका था कि बच्चे अपने महान पिता श्री गुरु गोबिंद की ही तरह मजबूत है इनको किसी भी तरीके से इस्लाम में नही लाया जा सकता।
फिर जब कोई और चारा न चला तो आखिर में उन्हें डराया , धमकाया भी गया। उन्हें भूखा प्यासा रखा गया , दिसंबर की सर्दी में। लेकिन इस्लाम इनके जज्बे के आगे बेबस था।

मेरे गोबिंद के लाल तो अडिग थे , उन्हें जन्म से ही वीरता और बलिदान का इतिहास सुनाया गया था। उन्हें बताया गया था की उनके दादा गुरु तेग़ बहादुर जी ने कैसे बलिदान दिया था। उनके पूर्वज गुरु अर्जुन देव जी ने कैसे जुल्म का सामना किया था। आखिरकार 26 दिसंबर 1705 को दोनों साहिबजादों को इस्लाम कबूल न करने के लिए जिन्दा ही दीवार में चुनवा दिया गया।

इस उम्र में जब माँ बाप अपने बालको को घर से बहार कदम नही रखने देते। मेरे गोबिंद के लाल हँसते हुए भारतवर्ष की लाज बचाने के लिए शहीद हो गए थे। अगर सत्य और बलिदान से भरा ये इतिहास आज भारतवर्ष के बच्चो को पढ़ाया जाये तो आपको क्या लगता है हमारे बच्चो का मनोबल कितना ऊँचा होगा।
मुझे मेरे पूर्वजो पे बहुत गर्व है और उस दिन का इंतज़ार भी जब मुझे भी उनके पदचिन्हो पे चलने का सौभाग्य मिलेगा।

बोले सो निहाल , सत श्री अकाल।

डॉ कुलवीर सिंह।

Gurdwara Sahib where Guru Sahib composed Chaupai Sahib!

https://www.youtube.com/watch?v=W2Wr4YO2tzU GURUDWARA SHRI BIBHOUR SAHIB is situated in the Nangal City in Ropar Distt. GURU GOBIND SINGH JI came here on invitation of Raja Ratan Rai. GURU SAHIB stayed here for several months. During his stay, GURU SAHIB wrote “CHAUPAI SAHIB” Paath sitting on the bank of river satluj.

https://www.youtube.com/watch?v=W2Wr4YO2tzU

GURUDWARA SHRI BIBHOUR SAHIB is situated in the Nangal City in Ropar Distt. GURU GOBIND SINGH JI came here on invitation of Raja Ratan Rai. GURU SAHIB stayed here for several months. During his stay, GURU SAHIB wrote “CHAUPAI SAHIB” Paath sitting on the bank of river satluj.