दवा कारोबार के सिलसिले में अक्सर मेरा जाना रीठा साहिब होता रहता है| रीठा साहिब चंपावत में पाटी तहसील से लगभग 50 कि.मी. दूर है| मैं हमेशा बाइक से वहां जाताथा| रास्ते में अगर बाइक पंचर हो गई तो मरम्मत कि सुविधा नहीं है| रात्रि विश्राम के पश्चात एक दिन जब मैं उठा तो रीठा […]

दवा कारोबार के सिलसिले में अक्सर मेरा जाना रीठा साहिब होता रहता है| रीठा साहिब चंपावत में पाटी तहसील से लगभग 50 कि.मी. दूर है| मैं हमेशा बाइक से वहां जाताथा| रास्ते में अगर बाइक पंचर हो गई तो मरम्मत कि सुविधा नहीं है|

रात्रि विश्राम के पश्चात एक दिन जब मैं उठा तो रीठा साहिब में मेरी बाइक पंचर हो गई| हमारे एकपहाड़ी दुकानदार ने मुझसे मौके का फायदा उठाकर दो सौ रुपए की नकली ट्यूब के चार सौ रुपए की मांग की और ट्यूब डालने के 50 रुपए और मांगे| मैं हैरान परेशान खड़ाथा| तभी मैंने देखा की पास में ही एक सरदार जी जो हमारी बातें सुन रहे थे, पास आए और मेरी बाइक स्वयं गुरूद्वारे के प्रांगण में ले गए|

वहां उन्होंने मेरी बाइक की ट्यूबबदली और उसमें हवा भरी मेरे कहने के बावजूद उन्होंने मुझसे पैसे नहीं लिए| यह सज्जन गुरुद्वारा रीठा साहिब गुरूद्वारे के प्रबंधक बाबा श्याम सिंह जी थे[| एक स्वधर्मीपहाड़ी भाई की कृपणता एवं एक सिख भाई की सहृदयता मेरे दिल को छू गई|

~ नरेंद्र सिंह बिष्ट, पनियाली, कटघरिया हल्द्वानी