आज से 70 साल पहले जो हुआ था, उसकी धमक, वह मंजर और वह नजारा.. किस्सा सुनने भर से रगों में बहते खून की रफ्तार बेकाबू हो उठती है। आजादी हासिल करने के ठीक अगले साल आज ही के दिन भारतीय युवाओं ने देश पर दो सदी तक राज करने वाले अंग्रेजों को उन्हीं की […]

आज से 70 साल पहले जो हुआ था, उसकी धमक, वह मंजर और वह नजारा.. किस्सा सुनने भर से रगों में बहते खून की रफ्तार बेकाबू हो उठती है। आजादी हासिल करने के ठीक अगले साल आज ही के दिन भारतीय युवाओं ने देश पर दो सदी तक राज करने वाले अंग्रेजों को उन्हीं की धरती पर धूल चटा अपना झंडा गाड़ दिया था। तिरंगा शान से लहरा उठा था, राष्ट्रगान गुंजायमान था और दुनिया बस आंखें फाड़े तकती रह गई थी।

उस शानदार लम्हे की सुनहरी चमक को बलबीर सिंह की उम्रदराज आंखों में चमकते हुए आज भी देखा जा सकता है। वह इस गौरवगाथा को पूरे गर्व और गर्मजोशी से सुनाते हैं। कहते हैं, आज की पीढ़ी को भी इस बात का इल्म होना जरूरी है, ताकि सीना और भी चौड़ा कर सके।

पूर्व ओलंपियन बलबीर सिंह सीनियर उस भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा थे, जिसने 12 अगस्त, 1948 को लंदन ओलंपिक के फाइनल मुकाबले में इंग्लैंड को उसी की राजधानी में, उसी की जनता और महारानी के सामने धूल चटाकर हर भारतवासियों का सीना चौड़ा कर दिया था। इसे अंग्रेजों से साल का बदला लेने के रूप में देखा गया था। यह पहला मौका था, जब आजादी के बाद किसी दूसरे देश में भारतीय तिरंगा लहराया था और राष्ट्रगान गूंजा था। बलबीर सिंह सीनियर कहते हैं, यही नहीं, खुद इंग्लैंड की महारानी को हमारे सम्मान में खड़े होना पड़ा था।

फाइनल जैसे ही शुरू हुआ तो मैच के 7वें और 15वें मिनट में मैंने दो गोल कर, अपनी टीम को 2-0 से बढ़त दिला दी। इसके बाद एक गोल टीम इंडिया को पेनल्टी कॉर्नर से मिला, जबकि एक गोल भारतीय टीम के खिलाड़ी जेनसन ने किया।

भारत की टीम ने यह मैच 4-0 से जीता, हमने इंग्लैंड को एक भी गोल नहीं करने दिया था। इसे दुनिया ने इंग्लैंड से करारे बदले के तौर पर देखा और इस शानदार जीत का जश्न उन सभी देशों में मनाया गया, जो कभी अंग्रेजों के गुलाम थे। तीन बार गोल्ड मेडल विजेता टीम का हिस्सा रहे पद्मश्री बलबीर कहते हैं, जब इस जीत के बाद तिरंगा ऊपर उठ रहा था तो मुङो लगा कि मैं भी तिरंगे के साथ उस ऊंचाई पर जा पहुंचा हूं, जहां से दुनिया बौनी नजर आए। थोड़ी देर के लिए मैं सुन्न सा हो गया। तब अहसास हुआ कि तिरंगे में कितनी शक्ति है। जब राष्ट्रगान गूंजा तो समझ में आया कि देश के लिए अभिमान क्या चीज होती है। शरीर का रोम-रोम खड़ा हो गया।

बलबीर सिंह सीनियर ने स्वतंत्रता दिवस पर देश के नौजवानों का आह्वान कर कहा कि देश ने कई मायनों में तरक्की की है, लेकिन आज भी हमारे करोड़ो लोग भूखे सोते हैं। गरीबी और बेरोजगारी है। युवा नशे की तरफ जा रहे हैं। युवाओं को बड़ी जिम्मेदारी निभानी होगी। देश के प्रति ईमानदारी, समर्पण और सेवा भाव से, एक साथ मिलकर योगदान करना होगा।